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हेम्प क्या है और इसके लाभ: आपकी पूर्ण गाइड

क्या आप जानते हैं कि हैम्प एक पुराना पौधा है? यह हजारों वर्षों से उपयोग किया जाता है। इसके बीज फाइबर और तेल का एक बड़ा स्रोत हैं।


हेम्प के बीज में विटामिन और खनिज होते हैं। ये हमारे स्वास्थ्य को बहुत लाभ पहुंचाते हैं।


हैम्प और भांग दोनों ही कैनाबिस पौधे हैं। लेकिन, हैम्प में टीएचसी बहुत कम होता है। भांग में इसकी मात्रा अधिक होती है।


इसलिए, हैम्प का उपयोग औद्योगिक और औषधीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

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इस लेख में, हम हैम्प के बारे में जानेंगे। जैसे कि इसकी खेती, पोषक तत्व, और स्वास्थ्य लाभ।


हम यह भी देखेंगे कि हेम्प के बीज कैसे दिल को स्वस्थ बनाते हैं। वे पीएमएस के लक्षणों को कम कर सकते हैं और पाचन को सुधारते हैं।


  • हैम्प एक प्रकार का पौधा है जिसका उपयोग औद्योगिक और औषधीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है।

  • हैम्प और भांग में मुख्य अंतर टीएचसी की मात्रा और उपयोग में होता है।

  • हैम्प के बीज में प्रोटीन, फाइबर, असंतृप्त वसा, विटामिन और खनिज पाए जाते हैं।

  • हेम्प के बीज दिल के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और रक्तचाप में सुधार करने में मदद कर सकते हैं।

  • हेम्प पीएमएस के लक्षणों को कम करने और पाचन में सुधार करने में सहायक हो सकता है।



हेम्प क्या है?

हैम्प एक पौधा है जो कैनाबिस सैटिवा का एक प्रकार है। यह पौधा हजारों वर्षों से फाइबर, तेल और पोषण का स्रोत रहा है। इसमें मानसिक प्रभाव नहीं होते हैं जैसे कि THC वाले कैनाबिस में होते हैं।


हैम्प से बने उत्पाद बहुत विविध हैं। इसमें कागज, रस्सी, वस्त्र, जैव-अपघटित प्लास्टिक, पेंट, इन्सुलेशन, जैव ईंधन, भोजन और पशु चारा शामिल हैं। यह पौधा बहुत तेजी से बढ़ता है और लगभग 50,000 साल पहले उपयोगी फाइबर में काटा जाता था।


हेम्प के बीज बहुत लोकप्रिय हो रहे हैं। वे पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं और भारतीय व्यंजनों में स्वादिष्ट होते हैं। भारत में FSSAI ने हेम्प बीज और तेल का उपयोग मंजूरी दी है।


हेम्प की खेती कम पानी की आवश्यकता होती है। यह अन्य फसलों की तुलना में 20% कम पानी लेता है। हेम्प बीज का दूध कम कैलोरी और आवश्यक अमीनो एसिड से भरपूर होता है। यह अन्य पौधे-आधारित दूध की तुलना में अधिक पौष्टिक है।


इन कारणों से हैम्प उत्पादों की लोकप्रियता बढ़ रही है। भारत में कई नए उद्यम और स्टार्ट-अप हेम्प के लाभों को दोहन करने पर काम कर रहे हैं।



हेम्प और भांग में क्या अंतर है

हेम्प और भांग दोनों कैनाबिस सैटिवा प्रजाति के पौधे हैं। लेकिन, इनमें कुछ अंतर हैं। इन पौधों में टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल (टीएचसी) और कैनाबिडिओल (सीबीडी) की मात्रा में अंतर है।


टीएचसी की मात्रा

हेम्प में टीएचसी की मात्रा बहुत कम होती है। यह इतनी कम होती है कि हेम्प के सेवन से मनोवैज्ञानिक या नशे जैसा कोई प्रभाव नहीं पड़ता।


दूसरी ओर, भांग में टीएचसी की मात्रा अधिक होती है। यह मात्रा कभी-कभी 30% तक हो सकती है। इस कारण से, भांग के सेवन से मनोसक्रिय प्रभाव पड़ते हैं।


उपयोग और प्रभाव

हेम्प और भांग के उपयोग और प्रभाव भी अलग हैं:

  • हेम्प का उपयोग मुख्य रूप से औद्योगिक उद्देश्यों के लिए होता है। इसके रेशों का उपयोग कपड़े, रस्सी, कागज़, और इन्सुलेशन सामग्री बनाने में होता है। इसके बीज और तेल का उपयोग खाद्य पदार्थों, कॉस्मेटिक्स और स्वास्थ्य पूरक के रूप में होता है।

  • भांग का उपयोग मुख्यतः मनोरंजन और औषधीय उद्देश्यों के लिए होता है। इसके सेवन से उत्तेजना, आनंद, भूख में वृद्धि, और दर्द में कमी हो सकती है। कभी-कभी इसका उपयोग चिकित्सीय रूप से तनाव, अवसाद, दर्द और अन्य स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है।


इन अंतरों के अलावा, हेम्प और भांग दोनों में कैनाबिडिओल (सीबीडी) होता है। सीबीडी को कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करने वाला माना जाता है। इसमें मनोवैज्ञानिक प्रभाव नहीं होते।


हेम्प से प्राप्त सीबीडी उत्पाद आमतौर पर कानूनी होते हैं। इसका कारण है कि उनमें टीएचसी का स्तर बहुत कम होता है।



हेम्प की खेती कैसे की जाती है

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हेम्प की खेती की प्रक्रिया अन्य फसलों की तरह ही होती है। बीज को बोया जाता है और पौधों को पानी और प्रकाश की उचित मात्रा में उगाया जाता है। हैम्प के पौधे तेजी से बढ़ते हैं और लगभग 4 महीने में पकने लगते हैं।


फसल तैयार होने पर पौधों को काटा जाता है और उन्हें सुखाने के लिए छोड़ दिया जाता है। फाइबर को अलग किया जाता है और फिर उसका प्रसंस्करण किया जाता है।


औद्योगिक हैम्प की खेती करने के लिए सही जलवायु और मिट्टी की स्थिति की आवश्यकता होती है। हैम्प को ठंडे और गर्म दोनों मौसम में उगाया जा सकता है। यह अधिकतर मिट्टी की स्थितियों में अच्छी तरह से उगता है, लेकिन सबसे अच्छा अच्छी जल निकासी वाली उपजाऊ मिट्टी में होता है।


कम पानी और कम उर्वरक की आवश्यकता के कारण हैम्प एक टिकाऊ फसल है।

हैम्प की खेती में पौधों की घनी बुवाई की जाती है ताकि पौधे लंबे और पतले उग सकें। इससे फाइबर की गुणवत्ता में भी सुधार होता है।

भारत में हैम्प की खेती सदियों से औषधीय उद्देश्यों के लिए की जाती रही है। आज भी कई राज्यों जैसे उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में हैम्प की खेती सरकार द्वारा नियंत्रित की जाती है।


दवा निर्माताओं को आपूर्ति करने के लिए लाइसेंस दिए जाते हैं। हालांकि, बीज आयात पर प्रतिबंध और THC के स्तर को नियंत्रित करने जैसी चुनौतियों के कारण हैम्प उद्योग धीमी गति से विकसित हो रहा है।

पारंपरिक फसलें

हैम्प

कम उपज

उच्च उपज

अधिक कीटनाशकों की आवश्यकता

कम कीटनाशकों की आवश्यकता

मिट्टी के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव

मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार

विभिन्न अनुमानों के अनुसार भारत के लगभग 50% जिले हैम्प की खेती कर रहे हैं। पश्चिमी देशों में इसका उपयोग मुख्य रूप से रस्सियों और फाइबर बनाने के लिए होता है।


देश में कई हैम्प की किस्में हैं जिनका अध्ययन कृषि विश्वविद्यालयों द्वारा किया जा रहा है। सरकार द्वारा किसानों को हैम्प की खेती के तकनीकी पहलुओं के बारे में जानकारी देने से इस फसल के विकास में तेजी आयेगी।


हैम्प के बाजार की मांग काफी अधिक है और यह भारत को वैश्विक बाजार में अपना योगदान देने का एक शानदार अवसर प्रदान करता है। फाइबर, कागज, तेल और मनोरंजक उत्पादों जैसे कई राजस्व स्रोतों के माध्यम से किसान आर्थिक रूप से लाभान्वित हो सकते हैं।



हेम्प के पोषक तत्व

हेम्प के बीज बहुत पौष्टिक होते हैं। ये बीज प्रोटीन, फाइबर और स्वस्थ वसा अम्लों का अच्छा स्रोत हैं। हेम्प बीज खाने से हमारे शरीर को कई पोषक तत्व मिलते हैं।

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प्रोटीन

हेम्प बीज में प्रोटीन की मात्रा बहुत अधिक होती है। 30 ग्राम हेम्प बीजों में लगभग 9.46 ग्राम प्रोटीन होता है। यह प्रोटीन सभी 9 आवश्यक अमीनो एसिड प्रदान करता है।


यह प्रोटीन मांसपेशियों को मजबूत बनाने में मदद करता है।


फाइबर

हेम्प बीज फाइबर का भी अच्छा स्रोत है। इसमें घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं। ये पाचन को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।


ये फाइबर कब्ज की समस्या को भी दूर करते हैं।


असंतृप्त वसा

हेम्प बीज में स्वस्थ असंतृप्त वसा अम्ल होते हैं। इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं।


ये वसा अम्ल दिल के स्वास्थ्य के लिए अच्छे होते हैं। वे सूजन को भी कम करते हैं।

100 ग्राम गांजे के बीजों में इन पोषक तत्वों की मात्रा होती है:

पोषक तत्व

मात्रा

ऊर्जा

586 किलो कैलोरी

प्रोटीन

31.56 ग्राम

फास्फोरस

1650 मिलीग्राम

पोटेशियम

1200 मिलीग्राम

मैग्नीशियम

700 मिलीग्राम

विटामिन और खनिज

हेम्प बीज में विटामिन ई और कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम जैसे खनिज भी होते हैं। ये पोषक तत्व हड्डियों को मजबूत बनाते हैं।


ये प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत बनाते हैं।


हेम्प बीज खाने से हमारे शरीर को पोषक तत्व मिलते हैं। हैम्प के पोषक तत्वों का नियमित सेवन हमारे स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।



हेम्प के प्रमुख स्वास्थ्य लाभ

हेम्प के बीज स्वास्थ्य के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। इसमें ओमेगा -3 और ओमेगा -6 फैटी एसिड्स होते हैं। ये हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।


ये वसा अम्ल कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप को कम करते हैं। इससे हृदय रोगों का जोखिम कम होता है।


हेम्प ऑयल में गामा-लिनोलेनिक एसिड (GLA) होता है। यह प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम (PMS) के लक्षणों को कम करता है।


एक अध्ययन में पाया गया कि PMS वाली महिलाओं को प्रतिदिन 1 ग्राम आवश्यक वसा अम्ल लेने से फायदा हुआ। इसमें हेम्प बीज का 210 मिलीग्राम GLA शामिल था।


हेम्प बीज पाचन को भी बेहतर बनाते हैं। ये फाइबर का एक अच्छा स्रोत हैं।


पूरे हेम्प बीज में 20% घुलनशील और 80% अघुलनशील फाइबर होता है। यह पाचन को दुरुस्त रखता है और आंत्र कैंसर के खतरे को कम करता है।


हेम्प सीड ऑयल में ओमेगा -3 और ओमेगा -6 फैटी एसिड्स होते हैं। ये एग्जिमा के लक्षणों को कम करने में मदद करते हैं।


हेम्प बीज में विशेष वसा अम्ल होते हैं। ये त्वचा के स्वास्थ्य और प्रतिरक्षा तंत्र को बढ़ावा देते हैं।


हेम्प के बीज वनस्पति आधारित प्रोटीन का एक स्वस्थ स्रोत हैं। इसमें सभी आवश्यक अमीनो एसिड होते हैं।


30 ग्राम हेम्प बीज में लगभग 11 ग्राम प्रोटीन होता है। यह बीफ और लैम्ब के बराबर है। हेम्प के बीज आपके पोषण और स्वास्थ्य के लिए एक अच्छा अतिरिक्त हो सकते हैं।

उत्पाद

ब्रांड

मात्रा (ग्राम)

कीमत (₹)

₹ प्रति 100 ग्राम

सूरजमुखी के बीज

Vedaka

200

117

58.5

हेम्प सीड्स

Kudaal - Uttarakhand

450

549

122

रॉ फ्लैक्ससीड

Nutri Organics

100

158

158

कच्चे अनरोस्टेड चिया बीज

NutriOrganics

200

127

63.5

सूरजमुखी के बीज

True Elements

100

249

249

ऊपर दी गई तालिका विभिन्न ब्रांड्स के सूरजमुखी, हेम्प और चिया बीजों की कीमतों की तुलना करती है। हेम्प के बीज अन्य सामान्य सुपरफूड्स की तुलना में थोड़े महंगे हैं। लेकिन उनके बेहतरीन पोषण मूल्य और विशिष्ट स्वास्थ्य लाभों के कारण वे इसके लायक हैं। हेम्प सीड्स को अपने आहार में शामिल करना हमारे समग्र कल्याण के लिए एक अच्छा निवेश हो सकता है।

क्या है हैम्प और इसके फायदे

हैम्प एक बहुमुखी औषधीय पौधा है। यह कैनबिस सैटिवा प्रजाति का एक सदस्य है। यह भांग से अलग है क्योंकि इसमें टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल (THC) की कम मात्रा होती है।


हैम्प सीड्स में प्रोटीन, फाइबर, स्वस्थ वसा, ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं।

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हैम्प के बीज में कई फायदेमंद तत्व हैं। वे एक उत्कृष्ट प्रोटीन स्रोत हैं। शाकाहारी आहार में वे बहुत महत्वपूर्ण हैं।

इन बीजों का मसालेदार स्वाद उन्हें रसोई में उपयोगी बनाता है। विभिन्न व्यंजनों में इन्हें शामिल किया जा सकता है।

"हैम्प एक पौष्टिक सुपरफूड है जिसमें हमारे शरीर के लिए कई औषधीय गुण होते हैं। इसके बीज दिल की सेहत, पाचन, त्वचा और समग्र कल्याण को बढ़ावा दे सकते हैं।" - डॉ अनुराग शर्मा, आहार विशेषज्ञ

शोध से पता चलता है कि हैम्प का उपयोग प्राचीन भारतीय ग्रंथों से लेकर आधुनिक समय तक होता रहा है। इसकी खेती को बढ़ावा देने से आर्थिक बदलाव आएंगे। विभिन्न उद्योगों में पर्यावरण के अनुकूल प्रथाओं को भी बढ़ावा मिलेगा।

हैम्प के गुण

लाभ

उच्च प्रोटीन

मांसपेशियों के निर्माण और मरम्मत में सहायक

फाइबर युक्त

पाचन और आंत के स्वास्थ्य में सुधार

ओमेगा-3 वसा

हृदय रोग के जोखिम को कम करना

एंटी-इंफ्लेमेटरी

सूजन और एग्जिमा के उपचार में सहायक

हैम्प के कई औषधीय लाभ हैं। इसकी खेती और उपयोग भारत में बढ़ रहा है। उत्तराखंड ने हैम्प की खेती को वैध बना दिया है।


आने वाले वर्षों में हम इस पौधे की क्षमता का और अधिक दोहन करेंगे। यह किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती है। हमारे समग्र स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी यह फायदेमंद है।



हेम्प के बीज दिल के लिए फायदेमंद

हेम्प के बीज दिल के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। ये बीज ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड से भरे होते हैं। ये हृदय रोग के खतरे को कम करने में मदद करते हैं।


इन बीजों में कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने और रक्तचाप को कम करने की क्षमता होती है।

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हेम्प के बीज में आर्जिनिन नामक एमिनो एसिड होता है। यह हृदय के लिए बहुत अच्छा है। यह नाइट्रिक ऑक्साइड में बदल जाता है जो रक्त वाहिकाओं को स्वस्थ बनाता है।


इस तरह, हेम्प के बीज का नियमित सेवन हृदय रोग के जोखिम को कम कर सकता है।


ओमेगा 3 वसा अम्ल

हैम्प के बीज ओमेगा-3 फैटी एसिड का बहुत अच्छा स्रोत हैं। ओमेगा-3 वसा अम्ल दिल के लिए बहुत जरूरी हैं।


यह ट्राइग्लिसराइड और कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करता है। इससे हृदय रोग और स्ट्रोक का जोखिम कम होता है।

शोध के अनुसार, हेम्प के बीज एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के स्तर को 20% तक कम कर सकते हैं।

रक्तचाप में सुधार

हेम्प के बीज में एंटीऑक्सिडेंट और ओमेगा-3 वसा अम्ल होते हैं। ये उच्च रक्तचाप को कम करने में मदद करते हैं।


उच्च रक्तचाप हृदय रोग और स्ट्रोक का एक बड़ा जोखिम है। हैम्प के बीज का नियमित सेवन रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद करता है।

हैम्प के बीज के पोषक तत्व (प्रति 30 ग्राम)

मात्रा

कैलोरी

166

कार्बोहाइड्रेट

2.5 ग्राम

वसा

14.5 ग्राम

फाइबर

1 ग्राम

प्रोटीन

9.5 ग्राम

सोडियम

5 मिलीग्राम

चीनी

0.45 ग्राम

हैम्प के बीज हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं। वे कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करते हैं और दिल के स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं।


इन पोषक तत्वों से भरपूर बीजों को अपने आहार में शामिल करके, हम स्वस्थ और सक्रिय जीवन जी सकते हैं।



हेम्प पीएमएस के लक्षण कम करने में मददगार

हेम्प एक बहुत उपयोगी पौधा है। यह पोषक तत्वों से भरपूर होता है और स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है। खासकर महिलाओं के लिए हेम्प बहुत उपयोगी हो सकता है।


हेम्प में गामा-लिनोलेनिक एसिड (GLA) होता है। यह पीएमएस के लक्षणों को कम करने में मदद करता है।

पीएमएस महिलाओं में मासिक धर्म से पहले होने वाली एक सामान्य समस्या है। इसके लक्षणों में स्तनों में दर्द, चिड़चिड़ापन, पेट में ऐंठन, और अवसाद शामिल हैं।


  • स्तनों में दर्द और सूजन

  • चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग्स

  • पेट में ऐंठन और सूजन

  • अवसाद और थकान


इन लक्षणों का एक प्रमुख कारण प्रोलैक्टिन हार्मोन का बढ़ा हुआ स्तर है। हेम्प में GLA होता है जो सूजन को रोकता है। यह प्रोलैक्टिन के प्रभाव को कम करता है।

एक 2011 के अध्ययन में पाया गया कि प्रतिदिन हेम्प सीड से 1 ग्राम आवश्यक फैटी एसिड लेने से पीएमएस के लक्षणों में काफी कमी आई।

हेम्प सीड ऑयल या पाउडर का नियमित सेवन पीएमएस के नकारात्मक प्रभावों को कम कर सकता है। हेम्प के बीज ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड का एक अच्छा स्रोत हैं। ये शरीर में सूजन को नियंत्रित करने में मदद करते हैं।

हेम्प उत्पाद

सेवन विधि

लाभ

हेम्प सीड ऑयल

सलाद ड्रेसिंग या स्मूदी में मिलाएं

GLA और ओमेगा-3 का समृद्ध स्रोत

हेम्प सीड पाउडर

दूध, दही या शेक में मिलाएं

प्लांट प्रोटीन और फाइबर से भरपूर

सिम्पल हेम्प सीड

सलाद या सब्जी में टॉपिंग के रूप में

पाचन में सुधार और भूख को नियंत्रित करता है

हेम्प कई तरह से फायदेमंद है, लेकिन कुछ सावधानियां बरतनी चाहिए। गर्भावस्था या स्तनपान के दौरान हेम्प का सेवन सावधानी से करना चाहिए।


लेकिन संतुलित आहार का हिस्सा बनाकर, हेम्प पीएमएस जैसी समस्याओं से राहत दिलाने में एक कारगर उपाय हो सकता है।



पाचन में सुधार के लिए हेम्प

फाइबर पाचन प्रणाली के लिए बहुत जरूरी है। हेम्प बीज दोनों तरह के फाइबर का अच्छा स्रोत है। इसमें 20% घुलनशील और 80% अघुलनशील फाइबर होता है।


अघुलनशील फाइबर मल को भारी बनाता है। यह आंत के कैंसर के खतरे को भी कम कर सकता है। घुलनशील फाइबर, जैसे प्रीबायोटिक, बैक्टीरिया को पोषण देता है।


हेम्प बीज पाचन प्रणाली को सुचारू बनाता है। यह कब्ज और पाचन स्वास्थ्य में सुधार लाता है। इसका फाइबर प्रोबायोटिक्स को खाता है, जो आंतों के लिए अच्छा है।


हेम्प बीज में ओमेगा -3 और ओमेगा -6 फैटी एसिड होते हैं। ये प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करते हैं और कैंसर को रोकते हैं। यह कोलोरेक्टल कैंसर के खतरे को भी कम करता है।


हेम्प बीज का नियमित सेवन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखता है। यह पाचन संबंधी विकारों को रोकने में मदद करता है।


हेम्प बीज से अपने पाचन स्वास्थ्य को बेहतर बनाएं। इसे सलाद, स्मूदी, या अन्य व्यंजनों में मिलाएं। इससे आपका पाचन तंत्र स्वस्थ रहेगा और आप कई समस्याओं से बचेंगे।



FAQ


हेम्प क्या है?

हेम्प एक पौधा है जो औद्योगिक उपयोग के लिए उगाया जाता है। यह कैनाबिस सैटिवा का एक प्रकार है। इसका उपयोग फाइबर, तेल और पोषण के स्रोत के रूप में किया जाता है।


हेम्प और भांग में क्या अंतर है?

हेम्प और भांग दोनों कैनाबिस सैटिवा प्रजाति के हैं। लेकिन, उनके अंदर टेट्राहाइड्रोकैनाबिनोल (टीएचसी) की मात्रा अलग है। हेम्प में टीएचसी की मात्रा 0.3% से कम होती है।


भांग में इसका स्तर अधिक होता है। हेम्प का उपयोग औद्योगिक प्रयोजनों के लिए होता है। भांग का उपयोग मनोरंजक और औषधीय कारणों से होता है।


हेम्प की खेती कैसे की जाती है?

हेम्प की खेती अन्य फसलों की तरह होती है। बीज बोए जाते हैं और पौधों को पानी और प्रकाश दिया जाता है।


हेम्प के पौधे तेजी से बढ़ते हैं। लगभग 4 महीने में पकने लगते हैं। फसल तैयार होने पर पौधों को काटा जाता है।


इसके बाद, पौधों को सुखाया जाता है और फाइबर को अलग किया जाता है। उद्योग में प्रयुक्त होने वाले हेम्प की खेती पर सख्त नियंत्रण होता है।


हेम्प में कौन से पोषक तत्व होते हैं?

हेम्प के बीज पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। वे प्रोटीन, फाइबर और ओमेगा-3 जैसी हेल्दी फैटी एसिड का अच्छा स्रोत होते हैं।


30 ग्राम हेम्प बीज में लगभग 9.46 ग्राम प्रोटीन होता है। इसमें घुलनशील और अघुलनशील दोनों प्रकार के फाइबर होते हैं।


यह ओमेगा-3 फैटी एसिड अल्फा-लिनोलेनिक एसिड (ALA), विटामिन ई और खनिज जैसे कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम से भरपूर होता है।


हेम्प के प्रमुख स्वास्थ्य लाभ क्या हैं?

हेम्प कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान कर सकता है। इसमें मौजूद ओमेगा-3 फैटी एसिड दिल के स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।


यह हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकता है। हेम्प में पाया जाने वाला गामा लिनोलेनिक एसिड (GLA) पीएमएस के लक्षणों को कम करने में मदद कर सकता है।


हेम्प के फाइबर पाचन स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकते हैं। यह त्वचा की समस्याओं जैसे एग्जिमा में राहत दे सकता है।


हेम्प सीड दिल के लिए कैसे फायदेमंद हैं?

हेम्प बीज में ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं। ये कोलेस्ट्रॉल, ब्लड प्रेशर और ट्राइग्लिसराइड के स्तर को कम करने में मदद करते हैं।


इसके अंदर आर्जिनिन नामक एमिनो एसिड भी होता है। यह हृदय स्वास्थ्य बढ़ाता है। यह रक्त वाहिकाओं को विस्तारित करने में मदद करता है।


इसलिए, हेम्प सीड का नियमित सेवन हृदय संबंधी रोगों के जोखिम को कम कर सकता है।


हेम्प पीएमएस लक्षणों को कैसे कम करता है?

हेम्प में पाया जाने वाला गामा-लिनोलेनिक एसिड (GLA) प्रोलैक्टिन हार्मोन के प्रभाव को कम करता है। प्रोलैक्टिन को पीएमएस के नकारात्मक लक्षणों का प्रमुख कारण माना जाता है।


हेम्प सीड ऑयल इन अप्रिय लक्षणों को कम करने में एक महत्वपूर्ण उपाय हो सकता है।


हेम्प पाचन स्वास्थ्य को कैसे बेहतर बनाता है?

हेम्प बीज घुलनशील और अघुलनशील दोनों तरह के फाइबर के उत्कृष्ट स्रोत होते हैं। अघुलनशील फाइबर मल को भारी बनाने में मदद करता है।


यह आंत के कैंसर के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है। घुलनशील फाइबर प्रीबायोटिक के रूप में कार्य करता है।


यह आंतों में मौजूद "अच्छे" बैक्टीरिया का पोषण करता है। हेम्प बीज का सेवन पाचन तंत्र को स्वस्थ रखने में सहायक हो सकता है। हेम्प क्या है




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