क्या आप जानते हैं कि भांग और गांजा एक ही चीज हैं? यह सवाल कई लोगों के मन में आता है। दोनों कैनाबिस प्रजाति से संबंधित हैं, लेकिन अंतर हैं। आइए इस विषय पर चर्चा करें और सच्चाई जानें।
भारतीय संस्कृति में भांग और गांजा लंबे समय से मौजूद हैं। इनका उपयोग धार्मिक अनुष्ठानों से लेकर चिकित्सा तक होता है। लेकिन आज, इन्हें अक्सर उन्मादक पदार्थ के रूप में देखा जाता है। तो क्या आप जानते हैं इन दोनों के बीच क्या अंतर है?
भारत में भांग का उपयोग कानूनी है, लेकिन गांजा गैरकानूनी है। यह अंतर इनकी रासायनिक संरचना और प्रभावों पर आधारित है। भांग में THC की मात्रा कम होती है, जबकि गांजे में यह अधिक होती है। इसलिए, गांजे का नशा भांग से ज्यादा तीव्र होता है।
मुख्य बिंदु
भांग और गांजा दोनों कैनाबिस प्रजाति के पौधे हैं
भांग में THC की मात्रा कम होती है, गांजे में अधिक
भारत में भांग का उपयोग कानूनी है, गांजा गैरकानूनी
दोनों का धार्मिक और औषधीय महत्व है
गलत उपयोग से स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं
भांग और गांजा का परिचय
भारत में कैनाबिस का इतिहास 7,000 साल पुराना है। यह पौधा हमारी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। आज भी, इसका उपयोग धार्मिक और औषधीय उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
कैनाबिस प्रजाति के पौधे
कैनाबिस के तीन मुख्य रूप हैं - भांग, गांजा और चरस। ये सभी एक ही पौधे से आते हैं। लेकिन, इनके उपयोग और प्रभाव अलग हैं।
भांग पत्तियों से बनती है। वहीं, गांजा फूलों से तैयार की जाती है।
भारतीय संस्कृति में महत्व
भारतीय संस्कृति में कैनाबिस का विशेष स्थान है। महाशिवरात्रि जैसे त्योहारों पर भांग का सेवन एक परंपरा है।
आयुर्वेद में इसके औषधीय गुणों का वर्णन है। लेकिन, आधुनिक समय में इसका दुरुपयोग विवाद पैदा करता है।
नशीले पदार्थ के रूप में प्रयोग
गांजा का नशीले पदार्थ के रूप में उपयोग कानूनी समस्याएं पैदा करता है। भारत में गांजा रखना या इस्तेमाल करना गैरकानूनी है।
बिना अनुमति के गांजा उगाने पर 10 साल तक की जेल हो सकती है।
विवरण | भांग | गांजा |
उत्पत्ति | पत्तियां | फूल |
कानूनी स्थिति | कुछ राज्यों में वैध | अवैध |
उपयोग | धार्मिक, औषधीय | मनोरंजक |
कैनाबिस के औद्योगिक उपयोग की संभावनाएं बढ़ रही हैं। लेकिन, इसके दुरुपयोग और स्वास्थ्य पर प्रभावों को लेकर चिंताएं हैं। इसके नियमन और उपयोग पर बहस जारी है।
भांग और गांजा एक हैं क्या? - जानें मुख्य अंतर
भांग और गांजा दोनों कैनाबिस पौधे से बनते हैं। लेकिन इनमें कुछ अंतर हैं। भांग नर पौधे की पत्तियों से बनती है। वहीं, गांजा मादा पौधे के फूलों और कलियों से तैयार होती है।
भांग का सेवन खाने या पीने से किया जाता है। यह भारतीय त्योहारों में प्रसिद्ध पेय है। गांजा को सूखाकर धूम्रपान के लिए उपयोग किया जाता है। इसका नशा भांग की तुलना में तेज होता है।
कानूनी स्थिति में भी अंतर है। भारत में भांग का उपयोग कुछ राज्यों में वैध है। लेकिन गांजा का उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित है। चिकित्सा अनुसंधान के लिए गांजा की खेती की अनुमति दी जा सकती है।
भांग में मौजूद प्राकृतिक पदार्थ अग्नाशय कैंसर को कम कर सकते हैं।
भांग के औषधीय गुण हैं। एक अध्ययन से पता चला है कि 80% लोगों को भांग से दर्द में आराम मिलता है। 82% लोगों को दर्द की दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती। यह भांग के चिकित्सकीय महत्व को दिखाता है।
कैनाबिस पौधे की विभिन्न प्रजातियां
कैनाबिस पौधे की तीन मुख्य प्रजातियां हैं। ये हेम्प, मारिजुआना और भांग हैं। ये प्रत्येक के अपने उपयोग और गुण हैं।
हेम्प
हेम्प में THC की मात्रा बहुत कम होती है। यह औद्योगिक उपयोग के लिए उगाया जाता है। इसका उपयोग कपड़े, रस्सी और कागज बनाने में होता है।
हेम्प के बीज पोषक तत्वों से भरपूर होते हैं। इनका सेवन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद है।
मारिजुआना
मारिजुआना में THC की मात्रा अधिक होती है। यह नशीला होता है। इसका उपयोग मनोरंजक और चिकित्सकीय उद्देश्यों के लिए होता है।
कुछ देशों में इसका औषधीय उपयोग कानूनी है। मारिजुआना के फूल और पत्तियों को सुखाकर धूम्रपान किया जाता है।
भांग
भांग भारत में सबसे प्रचलित है। इसका उपयोग पारंपरिक और धार्मिक अनुष्ठानों में होता है। भांग के पत्तों को पीसकर ठंडाई बनाई जाती है।
यह अन्य प्रजातियों की तुलना में कम नशीला होता है।
प्रजाति | THC मात्रा | मुख्य उपयोग |
हेम्प | 0.3% से कम | औद्योगिक, पोषण |
मारिजुआना | 5-30% | मनोरंजक, चिकित्सकीय |
भांग | 1-5% | पारंपरिक, धार्मिक |
इन प्रजातियों के कारण कैनाबिस बहुत उपयोगी हो गया है। लेकिन, इसके उपयोग और कानून देश-देश में अलग हैं।
bhang aur ganja ek hia kya ?
भांग और गांजा एक ही पौधे से आते हैं। लेकिन वे अलग-अलग हिस्से हैं। उनके प्रभाव भी अलग होते हैं।
भांग कैनाबिस के पत्तों और बीजों से बनती है। यह धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग की जाती है। गांजा पौधे के फूलों और ऊपरी हिस्सों से बनता है। दोनों को असुरक्षित पदार्थ माना जाता है।
भारत में गांजे का सेवन हजारों साल से होता आ रहा है। अथर्ववेद में इसका उल्लेख है। लेकिन 1985 में इस पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
भांग में THC की मात्रा कम होती है
गांजे में THC अधिक होता है
दोनों में CBD भी पाया जाता है
कैनाबिस में 150 प्रकार के कैनेबिनॉइड्स होते हैं। THC और CBD सबसे प्रमुख हैं। THC नशीला प्रभाव देता है, जबकि CBD के कई फायदे हैं।
गांजा के बीज, तेल और फाइबर के हजारों उपयोग हैं। इसकी खेती जैविक किसानों की आजीविका में सुधार ला सकती है।
गांजा फूंकने वाले लोग शराब पीने वालों की तरह अधिक नशीला माल पसंद करते हैं। यह लत का कारण बन सकता है। इसलिए इसका सेवन सावधानी से करना चाहिए।
भांग और गांजा का रासायनिक संरचना
भांग और गांजा दोनों कैनाबिस पौधे से आते हैं। लेकिन, इनकी रासायनिक संरचना अलग है। इनमें मुख्य रूप से दो यौगिक होते हैं - टीएचसी और सीबीडी। आइए इनके बारे में जानें।
टीएचसी (THC) की मात्रा
टीएचसी या टेट्राहाइड्रोकैनाबिनॉल नशीला प्रभाव देता है। गांजे में इसकी मात्रा अधिक होती है। इससे गांजा नशीला हो जाता है। भांग में इसकी मात्रा कम होती है।
उत्पाद | टीएचसी की मात्रा | प्रभाव |
गांजा | 15-25% | तीव्र नशीला |
भांग | 3-5% | हल्का नशीला |
सीबीडी (CBD) की उपस्थिति
सीबीडी या कैनाबिडिओल एक गैर-नशीला यौगिक है। यह औषधीय गुणों से भरपूर है। भांग में सीबीडी की मात्रा अधिक होती है।
भारत में मलाना गाँजे की खेती 2018 में 593 एकड़ में हुई थी। इसका चरस मलाना क्रिम के नाम से जाना जाता है। यह 1100 रुपये प्रति 10 ग्राम की दर से बिकता है। भाँग का उपयोग एशियाई लोग धूम्रपान और पेय पदार्थ के रूप में करते हैं।
रासायनिक संरचना के कारण भांग और गांजा के प्रभाव अलग होते हैं। इसलिए इनका उपयोग सावधानी से करना चाहिए।
भारत में भांग और गांजा का कानूनी स्थिति
भारत में भांग और गांजा के बारे में कानून जटिल है। 1985 में एक कानून बनाया गया जिसने इन पदार्थों को प्रतिबंधित कर दिया। गांजा पूरी तरह प्रतिबंधित है। लेकिन भांग की स्थिति अलग है।
भांग के पत्ते और बीज कानूनी हैं। कई राज्यों में भांग की दुकानें खुली रहती हैं। लेकिन गांजे का उत्पादन और बिक्री गैरकानूनी है।
पदार्थ | कानूनी स्थिति | उपयोग |
भांग | कुछ शर्तों के साथ कानूनी | पारंपरिक और धार्मिक |
गांजा | पूरी तरह प्रतिबंधित | मनोरंजक उपयोग गैरकानूनी |
गांजा रखने पर 6 महीने से 10 साल तक की सजा हो सकती है। 10,000 से 1 लाख रुपये तक का जुर्माना भी लग सकता है। यह सजा मात्रा पर निर्भर करती है।
भारत में भांग का इतिहास 5000 साल पुराना है। आज भी लोग इसे पारंपरिक रूप से इस्तेमाल करते हैं। लेकिन गांजे के उपयोग पर सख्त प्रतिबंध है।
कुछ लोग मानते हैं कि विनियमन से अपराध कम होगा। इससे आर्थिक लाभ भी होगा।
भांग के औषधीय उपयोग
भांग का उपयोग प्राचीन काल से ही हो रहा है। आयुर्वेद में इसका बहुत महत्व है। यहाँ भांग के कुछ स्वास्थ्य लाभ देखेंगे।
आयुर्वेदिक चिकित्सा में प्रयोग
आयुर्वेद में भांग कई रोगों के इलाज में मदद करता है। यह पाचन को बेहतर बनाता है और भूख बढ़ाता है। इसके अलावा, यह मानसिक स्वास्थ्य में भी सुधार लाता है।
भांग से शरीर में विषाक्त पदार्थ निकलते हैं।
दर्द निवारक गुण
भांग में कैनाबिनॉइड्स होते हैं जो दर्द को कम करते हैं। यह पुरानी पीड़ा और सूजन को कम करता है।
अध्ययनों से पता चला है कि भांग का नियमित सेवन कैंसर रोगियों को दर्द से राहत दिला सकता है।
तनाव और अनिद्रा में लाभ
भांग तनाव और चिंता को कम करता है। यह नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है।
लेकिन, इसका सेवन चिकित्सक की सलाह पर ही करना चाहिए।
रोग | भांग का प्रभाव |
एपिलेप्सी | दौरों को रोकने में मदद |
ग्लूकोमा | आंखों के दबाव को कम करता है |
अल्जाइमर | रोग की प्रगति को धीमा करता है |
मल्टीपल स्क्लेरोसिस | तंत्रिका तंत्र को सुरक्षा प्रदान करता है |
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, दुनिया भर में 14.7 करोड़ लोग भांग का उपयोग करते हैं। सही मात्रा में इसका सेवन कई बीमारियों से बचा सकता है।
गांजा के दुष्प्रभाव और जोखिम
गांजा लेने से कई जोखिम हैं। यह आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। हमें यह समझना चाहिए ताकि आप सावधानी से निर्णय लें।
गांजा ने मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यह अवसाद, चिंता और मनोविकृति का कारण बन सकता है। खासकर, युवा लोगों में यह जोखिम अधिक होता है, विशेष रूप से जो अधिक मात्रा में इसका सेवन करते हैं।
गांजा का उपयोग शारीरिक स्वास्थ्य पर भी नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। यह सांस लेने में समस्या पैदा कर सकता है और फेफड़ों की क्षमता कम कर सकता है। लंबे समय तक इसका उपयोग करने से क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज और अस्थमा का खतरा बढ़ सकता है।
दुष्प्रभाव | जोखिम |
मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं | अवसाद, चिंता, मनोविकृति |
शारीरिक स्वास्थ्य समस्याएं | श्वसन रोग, फेफड़ों की कार्यक्षमता में कमी |
सामाजिक प्रभाव | शैक्षिक प्रदर्शन में गिरावट, आर्थिक नुकसान |
गांजा ने आपके सामाजिक और आर्थिक जीवन को भी प्रभावित कर सकता है। यह आपके शैक्षिक और पेशेवर प्रदर्शन को कम कर सकता है और आपके पैसे को बर्बाद कर सकता है। इसलिए, गांजा लेने से पहले इसके जोखिमों को समझें।
गांजा लेने से पहले डॉक्टर या विशेषज्ञ से सलाह लें। सही मात्रा और सुरक्षित उपयोग के बारे में जानकारी प्राप्त करें।
भांग और गांजा का सामाजिक प्रभाव
भारत में भांग और गांजे का सामाजिक प्रभाव बहुत गहरा है। यहां 3.9% लोग गांजे का सेवन करते हैं। यह आंकड़ा दिखाता है कि गांजा समाज में बहुत स्वीकार किया जाता है।
गांजे का नशा विशेष रूप से युवाओं पर असर डालता है। इसका नियमित उपयोग मानसिक विकार का खतरा बढ़ाता है। यह किशोरों के मस्तिष्क विकास पर भी नकारात्मक प्रभाव डालता है।
लेकिन, गांजे के कुछ सकारात्मक पहलू भी हैं। आयुर्वेद में इसका उपयोग औषधि के रूप में होता है। यह यौन जीवन में सुधार और कोविड-19 के इलाज में मदद कर सकता है।
भारत में गांजे की खेती और औषधि उत्पादन के अवसर हैं। 2025 तक यह उद्योग 100-150 अरब डॉलर का हो सकता है। इससे रोजगार और अर्थव्यवस्था में वृद्धि होगी।
निष्कर्षतः, गांजे का सामाजिक प्रभाव मिश्रित है। इसके लाभों और हानियों को ध्यान में रखते हुए नीतियां बनाने की जरूरत है। जागरूकता और नियंत्रित उपयोग से दुष्प्रभाव कम हो सकते हैं।
भांग की खेती और उत्पादन
भारत में भांग की खेती बहुत रोचक है। यह पौधा सांस्कृतिक और औद्योगिक दोनों दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। आइए, भारत में भांग की खेती और उत्पादन के बारे कुछ महत्वपूर्ण बातें जानते हैं।
भारत में खेती के नियम
भारत के कई राज्यों में भांग की खेती पर प्रतिबंध है। लेकिन, कुछ राज्यों में इसकी खेती की अनुमति है। उत्तराखंड एक उदाहरण है, जहां भांग की वैध खेती होती है।
औद्योगिक उपयोग के लिए अनुमति
भांग के कई औद्योगिक उपयोग हैं। इसके रेशों से कपड़े और कागज बनाए जाते हैं। एक हेक्टर भांग से 4 हेक्टर जंगल जितना कागज मिल सकता है।
नेपाल में भांग के रेशों से 'भँगरा' नामक मोटा कपड़ा बुना जाता है।
भांग की खेती के लाभ | मात्रा |
ऑक्सीजन उत्पादन | 25 हेक्टर जंगल के बराबर |
कागज उत्पादन | 4 हेक्टर जंगल के बराबर |
प्रोटीन मूल्य | बहुत अधिक |
भांग के पौधे पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद हैं। ये हवा को शुद्ध करते हैं। एक हेक्टर भांग 25 हेक्टर जंगल जितना ऑक्सीजन छोड़ती है।
इसके अलावा, भांग से बने उत्पाद जैसे साबुन और प्रसाधन सामग्री पानी को प्रदूषित नहीं करते।
गांजा के वैश्विक रुझान
गांजा के बारे में दुनिया भर में नए नियम बन रहे हैं। कई देश इसके उपयोग पर विचार कर रहे हैं। अमेरिका में 17 राज्यों ने मनोरंजन के लिए गांजा को कानूनी बनाया है। 36 राज्यों ने इसका चिकित्सकीय उपयोग के लिए अनुमति दी है।
कनाडा पहला देश था जिसने मनोरंजन के लिए गांजा का समर्थन किया। उरुग्वे ने 1974 में निजी उपयोग को वैध बनाया। 2013 में उन्होंने पूर्ण कानूनीकरण किया।
मेक्सिको, न्यूजीलैंड, लेसोथो और मोरक्को भी गांजा के उपयोग को वैध बनाने की दिशा में कदम उठा रहे हैं।
भारत में गांजे का उपयोग कम है। यहां 1.9% लोग इसका सेवन करते हैं। लेकिन, अफीम से बने पदार्थों का उपयोग 2.1% है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन गांजे के चिकित्सकीय उपयोग को सही मानता है। यह कैंसर, एड्स, अस्थमा और ग्लूकोमा के उपचार में मदद कर सकता है। भारत में भी इसका चिकित्सकीय उपयोग कानूनी हो सकता है।
देश | गांजा की कानूनी स्थिति | वर्ष |
उरुग्वे | पूर्ण कानूनीकरण | 2013 |
कनाडा | मनोरंजक उपयोग वैध | 2018 |
अमेरिका | 17 राज्यों में मनोरंजक उपयोग वैध | 2012-2021 |
भारत | चिकित्सकीय उपयोग पर विचार | वर्तमान |
गांजे के उपयोग के बारे में दुनिया भर में चर्चा बढ़ रही है। भारत में इसके औद्योगिक और चिकित्सकीय उपयोग पर विचार हो रहा है। लेकिन, इसके दुरुपयोग और स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभावों के बारे में चिंताएं भी हैं। आने वाले समय में इसके नियमन पर और चर्चा होगी।
भांग और गांजा से संबंधित मिथक और वास्तविकता
भांग और गांजा के बारे में कई मिथक हैं। कुछ लोग सोचते हैं कि ये पूरी तरह सुरक्षित हैं। लेकिन, वास्तविकता इससे अलग है।
वैज्ञानिक शोध से पता चला है कि भांग और गांजा के दोनों फायदे और नुकसान हैं। इनके प्रभाव व्यक्ति, मात्रा और उपयोग के तरीके पर निर्भर करते हैं। यहाँ कुछ मुख्य मिथक और वास्तविकताएँ दी गई हैं:
मिथक | वास्तविकता |
भांग और गांजा पूरी तरह सुरक्षित हैं | इनके दुष्प्रभाव हो सकते हैं, विशेषकर अधिक मात्रा में सेवन पर |
इनका कोई चिकित्सकीय उपयोग नहीं है | कई बीमारियों में इनके औषधीय गुणों का प्रमाण मिला है |
ये नशे की लत नहीं लगाते | लगातार उपयोग से मानसिक निर्भरता हो सकती है |
इन पदार्थों के बारे में तथ्यों पर आधारित जानकारी रखना जरूरी है। न तो इन्हें पूरी तरह खारिज करना चाहिए और न ही बिना सोचे-समझे इस्तेमाल करना चाहिए। वैज्ञानिक शोध इनके प्रभावों को समझने में मदद कर रहे हैं।
भांग और गांजा का सुरक्षित उपयोग
भांग और गांजे का सुरक्षित उपयोग बहुत महत्वपूर्ण है। इनका अनियंत्रित उपयोग स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकता है। इसलिए, इनका उपयोग करते समय कुछ महत्वपूर्ण बातें ध्यान में रखनी चाहिए।
चिकित्सकीय निगरानी की आवश्यकता
भांग और गांजे का उपयोग चिकित्सक की देखरेख में ही करना चाहिए। एक योग्य चिकित्सक आपकी स्वास्थ्य स्थिति के अनुसार सही मात्रा और तरीका बता सकता है। इससे दुष्प्रभाव कम होते हैं।
सही मात्रा का महत्व
भांग और गांजे का सही मात्रा में उपयोग करना बहुत महत्वपूर्ण है। अधिक मात्रा में उपयोग करने से स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। इसलिए, चिकित्सक द्वारा निर्धारित मात्रा का पालन करना आवश्यक है।
भांग और गांजे का उपयोग बिना चिकित्सकीय सलाह के नहीं करना चाहिए। इनका सुरक्षित उपयोग नियंत्रित मात्रा में और सही तरीके से ही संभव है। अपने स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए हमेशा एक विशेषज्ञ की सलाह लें।
भांग और गांजा पर वैज्ञानिक अध्ययन
भांग और गांजा पर शोध तेजी से बढ़ रहा है। शोधकर्ता इनसे होने वाले फायदों को ढूंढ रहे हैं। वे इनके कैंसर और तंत्रिका संबंधी रोगों में उपयोग के बारे में जानकारी इकट्ठा कर रहे हैं।
गांजे में टीएचसी और सीबीडी जैसे रसायन होते हैं। ये रसायन स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। आयुर्वेद में भी भांग का उपयोग होता है।
भारत में गांजे का उपयोग कम है। यहां 1.9% लोग इसका उपयोग करते हैं। दुनिया भर में यह आंकड़ा 3.9% है।
देश | गांजे का उपयोग (%) | हेरोइन का उपयोग (%) |
भारत | 1.9 | 2.1 |
विश्व औसत | 3.9 | 0.7 |
गांजे के अध्ययन से भारत का यह उद्योग 2025 तक बहुत बड़ा हो सकता है। यह 100 से 150 अरब अमेरिकी डॉलर तक पहुंच सकता है। लेकिन, इसके नुकसानों को भी समझना जरूरी है।
भविष्य में भांग और गांजा की संभावनाएं
भविष्य में भांग और गांजा का उपयोग बहुत बढ़ सकता है। चिकित्सा क्षेत्र में इनका महत्व बढ़ सकता है। भांग के तेल का उपयोग दर्द निवारक के रूप में हो सकता है।
यह थकान दूर करने में भी मददगार हो सकता है। औद्योगिक क्षेत्र में भी भांग की मांग बढ़ सकती है। इसके रेशों से रस्सी और वस्त्र बनाए जा सकते हैं।
यह पर्यावरण के अनुकूल विकल्प हो सकता है। भांग का पौधा हर मौसम में उगने की क्षमता रखता है। यह इसे टिकाऊ फसल बनाता है।
हालांकि, भांग और गांजे के दुरुपयोग को रोकने के लिए कड़े नियम आवश्यक होंगे। इनके सुरक्षित और नियंत्रित उपयोग पर ध्यान देना होगा। भविष्य में वैज्ञानिक शोध इनके नए लाभकारी उपयोगों को खोजने में मदद कर सकते हैं।
इस तरह, भांग और गांजे की संभावनाएं विस्तृत और विविध हो सकती हैं।
FAQ
क्या भांग और गांजा एक ही चीज हैं?
नहीं, भांग और गांजा अलग-अलग हैं। दोनों कैनाबिस प्रजाति के हैं। भांग नर पौधे से और गांजा मादा पौधे से बनता है।
भांग पत्तियों से बनता है, जबकि गांजा फूलों और कलियों से। इनके नशा करने के तरीके भी अलग हैं।
भांग और गांजा की रासायनिक संरचना क्या है?
भांग और गांजे में THC और CBD मुख्य तत्व हैं। गांजे में THC की मात्रा अधिक होती है।
भांग में THC की मात्रा कम होती है। CBD के औषधीय गुण होते हैं और यह नशा नहीं पैदा करता।
भारत में भांग और गांजा की क्या कानूनी स्थिति है?
भारत में भांग की खेती कुछ शर्तों के साथ कानूनी है। लेकिन गांजे की खेती प्रतिबंधित है।
भांग के पत्तों और बीजों का उपयोग वैध है। लेकिन गांजे का उत्पादन और बिक्री गैरकानूनी है।
कुछ राज्यों में भांग की दुकानें सरकारी लाइसेंस के साथ चलती हैं।
आयुर्वेद में भांग के क्या औषधीय उपयोग हैं?
आयुर्वेद में भांग कई बीमारियों के इलाज में उपयोग किया जाता है। इसके दर्द निवारक गुण होते हैं।
यह तनाव और अनिद्रा में भी लाभदायक माना जाता है। लेकिन इसका उपयोग चिकित्सक की सलाह पर ही किया जाना चाहिए।
गांजा सेवन के क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं?
गांजे के सेवन से कई दुष्प्रभाव हो सकते हैं। जैसे मानसिक स्वास्थ्य समस्याएं और श्वसन संबंधी समस्याएं।
लंबे समय तक गांजे का सेवन मस्तिष्क के विकास को प्रभावित कर सकता है। यह स्मृति हानि का कारण भी बन सकता है।
भांग और गांजे का सामाजिक प्रभाव क्या है?
भांग और गांजे का उपयोग समाज पर विभिन्न प्रकार से प्रभाव डालता है। कुछ समुदायों में इनका धार्मिक महत्व है।
लेकिन अन्य में यह सामाजिक समस्या का कारण बनता है। इनके दुरुपयोग से परिवार और समाज पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।
भांग और गांजा एक हैं क्या? - जानें सच्चाई
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